"रात का जूड़ा खुल जाता तो"

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कहने की नौबत ही न आई वह जो हमारे हो लेते! नींद आ जाती तारों को तब पल भर हम भी सो लेते! जाम कहां क़िस्मत में साक़ी छलके जो पैमाने ...

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